दिल्ली पुलिस ने एक चौंकाने वाले फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। एक MCD का संविदा कर्मचारी खुद को दिल्ली मुख्यमंत्री कार्यालय का अधिकारी बताकर गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज दिलाने का झांसा दे रहा था। इसके बदले वह ₹5,000 तक वसूलता था।

 कैसे हुआ खुलासा

पुलिस के अनुसार आरोपी ने दिल्ली CM Office का जाली लेटरहेड तैयार किया था, जिस पर वह “CMO ऑफिस” के नाम से फर्जी सिफारिश पत्र जारी करता था।
एक अस्पताल ने जब इस लेटर की पुष्टि मुख्यमंत्री कार्यालय से करवाई, तो स्पेलिंग गलती और अलग फॉन्ट देखकर धोखाधड़ी का पता चल गया।

आरोपी कौन है

गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान सोनू (27) के रूप में हुई है, जो दिल्ली नगर निगम (MCD) में एक संविदा माली के रूप में काम करता था।वह खुद को “बलबीर सिंह राठी” नामक अधिकारी बताकर लोगों को फर्जी पत्र देता था। आरोपी के पास से जाली लेटरहेड, फर्जी ID कार्ड, और एक नंबर प्लेट बदली हुई बाइक भी बरामद हुई है।

कैसे चलता था खेल

*सोनू गरीब और EWS (आर्थिक रूप से कमजोर) वर्ग के लोगों को टारगेट करता था।
* कहता था कि “CM ऑफिस से विशेष अनुमति है, जिससे निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज होगा।”
* हर लेटर के बदले ₹5,000 लेकर मरीजों को फर्जी सिफारिश पत्र देता था।

पुलिस की कार्रवाई

अस्पताल की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने जांच शुरू की।
मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड के आधार पर आरोपी को टैगोर गार्डन इलाके से पकड़ा गया। जांच में सामने आया कि वह कई लोगों से ठगी कर चुका था और जाली पत्रों की मदद से निजी अस्पतालों को भी भ्रमित करता था।

सावधानी जरूरी

पुलिस ने जनता को चेतावनी दी है कि “किसी भी सरकारी सहायता या मुफ्त इलाज योजना से जुड़ा पत्र मिलने पर उसकी ऑफिशियल सत्यापन जरूर करें।”
सरकार ने भी कहा है कि ऐसे मामलों में अस्पतालों को सीधे संबंधित विभाग से पुष्टि करनी चाहिए ताकि फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके।

Suraag विश्लेषण

* यह मामला दिखाता है कि सरकारी नाम और मुहर का दुरुपयोग करके आम लोगों को ठगा जा सकता है।
* सिस्टम की छोटी गलती (स्पेलिंग और फॉन्ट) से ही यह गिरोह पकड़ा गया — यानी जांच एजेंसियों की सतर्कता अब भी काम कर रही है।
* स्वास्थ्य योजनाओं में पारदर्शिता और सख्त सत्यापन प्रक्रिया की जरूरत है ताकि ऐसे धोखेबाजों को रोक जा सके।

 

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