देश के वाहन मालिकों के लिए राहत भरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) और देश की 22 प्रमुख बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे मिलकर एक समान (यूनिफॉर्म) मोटर वाहन बीमा पॉलिसी तैयार करने की संभावना पर विचार करें। वर्तमान में अलग-अलग बीमा कंपनियों द्वारा जारी मोटर बीमा पॉलिसियों में शर्तों और शब्दावली में असमानता पाई जाती है। न्यायालय ने कहा कि ऐसी असमानता के कारण बीमाधारकों को दावे के समय भ्रम और कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत तीन प्रकार की बीमा पॉलिसियाँ वैध हैं —
1. थर्ड पार्टी लाइबिलिटी पॉलिसी,
2. स्टैंड-अलोन ओन डैमेज पॉलिसी, और
3. कम्प्रिहेन्सिव (समग्र) पॉलिसी।
लेकिन बीमा कंपनियाँ अपने-अपने ढंग से पैकेज पॉलिसी बनाकर उपभोक्ताओं के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर रही हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सभी बीमा कंपनियाँ एकसमान प्रारूप और परिभाषा अपनाएँ ताकि उपभोक्ताओं को स्पष्ट जानकारी मिले और दावा निपटान (क्लेम सेटलमेंट) प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि IRDAI को बीमा कंपनियों के साथ मिलकर एकरूप नीति का प्रारूप तैयार करना चाहिए, जिससे देशभर में एक जैसी मोटर बीमा शर्तें लागू की जा सकें।
विशेषज्ञों का मत:
बीमा क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं के हित में बड़ा सुधार साबित होगा। एक जैसी पॉलिसी शर्तों से न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि क्लेम विवादों में भी भारी कमी आएगी।
