रायपुर/बिलासपुर विशेष रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ पुलिस ने Operation Cyber Shield के तहत रायपुर से एक बड़े साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह फर्जी मैट्रिमोनियल वेबसाइटों के जरिए लोगों को जाल में फँसाता और फिर करोड़ों रुपये म्यूल बैंक खातों के जरिए घुमा देता था।
ठगी का जाल कैसे फैला
आरोपियों ने 500 से अधिक म्यूल खाते खोले।
चीन से जुड़े APK सिस्टम के जरिए पूरे नेटवर्क को ऑपरेट किया जा रहा था।
रायपुर पुलिस ने छापेमारी में 50 मोबाइल, 10 कंप्यूटर, 60 बैंक खाता किट और सैकड़ों SIM कार्ड बरामद किए।
गिरफ्तार आरोपी:
गजसिंह सुना (32) – ओडिशा भिखु सचदेव (32) – गुजरात साहिल कौशिक (23) – छत्तीसगढ़ हर्षित शर्मा (18) – छत्तीसगढ़
बिलासपुर में भी जांच क्यों ज़रूरी म्यूल खातों का नेटवर्क सिर्फ रायपुर तक सीमित नहीं, बल्कि प्रदेशभर के शहरों में फैला हो सकता है। बिलासपुर में कई प्रमुख बैंक शाखाएँ और डिजिटल लेन-देन सेंटर हैं, जहाँ ऐसे संदिग्ध खाते सक्रिय रहे होंगे। साइबर सेल को शक है कि बिलासपुर और आसपास के लोग भी इस ठगी के शिकार बने हैं। संभावना है कि रायपुर जैसे ही फर्जी कॉल सेंटर या ऑफिस बिलासपुर में भी चलाए गए हों।
सुराग की राय
यह मामला सिर्फ रायपुर तक रोक देना खतरनाक होगा।
बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा और जांजगीर जैसे बड़े शहरों में भी साइबर सेल को तत्काल जांच शुरू करनी चाहिए। बैंकों को संदिग्ध खातों की सूची पुलिस को देनी होगी। पीड़ितों से खुली जनसुनवाई लेकर उनके बयान दर्ज किए जाने चाहिए।
निचोड़
रायपुर से शुरू हुआ यह साइबर ठगी का मामला अब पूरे प्रदेश में खतरे की घंटी बन चुका है। सुराग न्यूज़ का मानना है “अगर बिलासपुर और अन्य जिलों में समय रहते जांच नहीं हुई, तो यह नेटवर्क और गहरा जड़ जमा लेगा। पुलिस को अब सिर्फ रायपुर नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को जांच के दायरे में लाना होगा।”
